"अबला जीवन है तुम्हारी यही कहानी
आँचल  में है दूध आँख में पानी"@हनीप्रीत
इस अबला को माफ़ करो
उसके सारे कलंक उसके साफ़ करो
क्योँ उसको मुल्ज़िम ठहराया
जब बाबा हाथ तेरे आया
वह तो है इक कठपुतली
नाचे पापा की ऊँगली पर
न उसने डेरा बनवाया
न बाबा को  ही फुसलाया
वह तो खुद इक कठपुतली है
बाबा के मन की इक गुड़िया है
नाची बेशक वो   उंगली पर
पर बाबा ही असली मुजरिम है
हनीप्रीत तो पवित्र प्रिये
स्कॉच वोदका या वाइन पिए
बाबा के कहने पर सब   काम किये
फिर क्यों तुम उसको  छलते हो
क्या इक अबला के आंसू भी
तुम्हे द्रवित नहीं कर पाते
उसका कोई दोष नहीं
बस उसको अपना जीवन जीना था
बाबा के चंगुल में जीना था
क्या कोई राह अलग हो सकती थी
क्या उसके पास कोई राह बची
जो बाबा से वह रहे बची
उसकी मज़बूरी का अहसास करो
अब हनीप्रीत को माफ़ करो
वैसे भी अब अब नमक नहीं बचा

उम्र के इस अधेड़पन में
हानि प्रीत को माफ़ करो
मै सच कहता हूँ दीवानों
उसके कलंक तुम साफ़ करो
हनी प्र्रीत को माफ़ करो
सोचो
इस अबला का क्या क्या दुख है
 बस
बाबा के हिस्से सब सुख हैं.
हानि प्रीत तो एक गुलाम
ना तुमको मिलने वाली है
क्यों तुम मेरी उम्मीदों को
व्यर्थ नष्ट किये जाते हो
हनीप्रीत मेरी होगी
तुम क्योँ जल भुन  जाते हो
तुम हनीप्रीत को माफ़ करो
उसको तुम मेरे नाम करो
तुम हनिप्रीत को माफ़ करो




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